Wednesday, February 9, 2011

सोजत शहर निहार / कवि वीरेन्द्र जी लखावत

सोजत शहर निहार 
उपजे मेहंदी राचणी, अपणायत अणपार 
सम्प देखणों साम्परत, सोजत शहर निहार 
मजदूरी मंहगी मुलक, और नहीं आधार 
क़ली बेचनी ख़लक में ,सोजत शहर निहार 
अजवायन तो असल में, इण परगणा लार 
मोलावन जच्चा मुजब, सोजत शहर निहार 


यह पंक्तिया सोजत  के प्रमुख  कवि श्रीमान वीरेन्द्र जी लखावत द्वारा लिखी गयी उनकी इन  पंक्तियों  के लिए में आपका आभारी  रहूँगा 
शब्दों का अर्थ 
अपणायत- प्रेम / स्नेह        अणपार -    अपार  
सम्प- सामंजस्य               साम्परत- प्रत्यक्ष  
परगणा- तहसील              ख़लक- संसार
 मोलावन- मोल भाव       मुजब- हिसाब से 



2 comments:

johari parihar said...

virendarji lakhawat mere guruji hai , bahut acchi kavita likhate hai, jab me sojat school me padata tha tab sir pahale kavitha sunate the fir class start karte the

ANAND BHATI said...

Kailasdanji ki kavita se bilkul alag he

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