Thursday, February 3, 2011

इसर गणगौर


  इसर  गणगौर    
गणगौर राजस्थान और सोजत  का एक त्यौहार है जो चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तीज को आता है | इस दिन कुवांरी लड़कियां एवं विवाहित महिलायें शिवजी ( इसर जी ) और पार्वती जी ( गौरी) की पूजा करती हैं | पूजा करते हुए दूब से पानी के छांटे देते हुए गोर गोर गोमती गीत गाती हैं |

गोर गोर गोमती, इसर पूजे पार्वती
म्हे पूजा आला गिला, गोर का सोना का टिका 


म्हारे है कंकू का टिका
टिका दे टमका दे ,राजा रानी बरत करे


करता करता आस आयो, मास आयो
छटो छ: मास आयो, खेरो खंडो लाडू लायो


लाडू ले बीरा ने दियो , बीरा ले भावज ने दियो
भावज ले गटकायगी, चुन्दडी ओढायगी


चुन्दडी म्हारी हरी भरी, शेर सोन्या जड़ी
शेर मोतिया जड़ी, ओल झोल गेहूं सात


गोर बसे फुला के पास, म्हे बसा बाणया क पास
कीड़ी कीड़ी लो, कीड़ी थारी जात है


जात है गुजरात है, गुजरात का बाणया खाटा खूटी ताणया
गिण मिण सोला, सात कचोला इसर गोरा


गेहूं ग्यारा, म्हारो भाई ऐमल्यो खेमल्यो, लाडू ल्यो , पेडा ल्यो
जोड़ जवार ल्यो, हरी हरी दुब ल्यो, गोर माता पूज ल्यो |  


इस गीत में पत्नि पति से गणगौर उत्सव में शृंगार पदार्थ लाकर देने का निवेदन करती है...


भँवर म्हाने खेलण दयो गणगौर 
ऐसी म्हारी 
लाड बरण का बीर 
भँवर म्हाने पूजन दयो गणगौर 
माथे पे मेमद ल्याओ ऐसी 
म्हारी रखडी रतन जडायो 
भँवर म्हाने चूडला ल्याओ 
भँवर म्हारे पाँव मैं पायल ल्याओ 
ऐसा म्हारा 
बिछुआ जुटणा बैठ घडायो
भँवर म्हाने खेलण दयो गणगौर  
३ 
म्हारा दादाजी के जी मांडी गणगौर म्हारा काकाजी के मांडी गणगौर रसीया घडी दोय खेलवाने जावादो
घडी दोय जावता पलक दोय आवता सहेलियाँ में बातां चितां लागी हो रसीया घडी दोय खेलवाने जावादो
थारो नथ भलके थारो चुड़लो चमके थारा नेना रा निजारा प्यारा लागे हो मारुजी थारा बिना जिवडो भुल्यो डोले









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